कभी अमेरिका के हरे कृष्णा मंदिर में जाकर अपनी भूख शांत करने वाले लड़के को देखकर किसी ने नहीं सोचा था की एक दिन यह लड़का एक ऐसी कंपनी बनाएगा जो दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी होगी | स्टीव जॉब्स एक ऐसा नाम है जो की प्रेरणा की मिसाल है | जिसने अपनी मेहनत से वो मुकाम हासिल किया जहा पर पहुंचना हर किसी का सपना होता है | ना सिर्फ उन्होंने सफलता पायी बल्कि उन्होंने कंप्यूटर और मोबाईल फोन क्रांति में अपना अमूल्य योगदान दिया | कोई सोच भी नहीं सकता की एक बार स्टीव को उनकी बनाई कम्पनी से निकाल दिया गया था | ऐसे में कोई और इंसान हताश हो सकता था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक बार फिर अपनी मेहनत से सफलता के झंडे गाड़े | उनकी बनाई कंपनी एप्पल आज दुनिया का सबसे बड़ा ब्रांड है |
एप्पल को नंबर 1 बनाया स्टीव जॉब्स ने
आज हम आपको बताने जा रहे है स्टीव जॉब्स के बारे में जिनकी बनाई कंपनी एप्पल आज दुनिया का सबसे बड़ा ब्रांड है और इसके बनाये प्रोडक्ट आईफोन को लेने के लिए कई दिन पहले से ही लोग लाइन में खड़े हो जाते है | तो आइये जानते है की कैसे स्टीव ने अपने जीवन में किन किन रूकावटो और परेशानिया का सामना करते हुए इस कम्पनी को बनाया और इस मुकाम तक पहुंचाया |
अविवाहित माँ बाप की संतान थे स्टीव जॉब्स
स्टीव जॉब्स को दुनिया ना केवल एक एंटरप्रोन्योर , सफल बिजनेसमैन के रूप में ही नहीं जानती बल्कि उनकी ख्याति एक बहुत ही मोटिवेशनल व्यक्ति के रूप में भी दुनिया भर में प्रसिद्ध है | एप्पल कम्पनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 में सेन फ्रेंसिस्को यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमेरिका में हुआ था | स्टीव के जन्म के समय इनके माता पिता विवाहित नहीं थे इसलिए उन्होंने अपने बेटे को गोद देने का फैसला कर लिया |
स्टीव को गोद दे दिया था उनके माता पिता ने
अपने बेटे को गोद देने के लिए उन्होंने जिन व्यक्ति को चुना था उन्होंने अंत समय में लड़की को गोद लेने का निश्चय किया | ऐसे में स्टीव के माता पिता ने एक और दम्पति को फोन किया जो की किसी बच्चे को गोद लेने की इच्छा को जता चुके थे | उन्होंने उनसे पूछा की हमारे पास एक लड़का है क्या आप इसे गोद लेना चाहेंगे | उन्होंने इसके लिए तुरंत हामी भर दी | लेकिन जब स्टीव की माँ को पता चला की गोद लेने वाले माता पिता ग्रेजुएट नहीं है तो उन्होंने उन्हें गोद देने से इंकार कर दिया था | लेकिन उनके गोद लेने वाले माता पिता ने जब विश्वास दिलाया की वे उनकी पढाई में कोई कमी नहीं रखेंगे और उन्हें ग्रेजुएशन करवाएंगे तब वे मान गयी |
स्टीव की पढाई अच्छे स्कूल से हुई
स्टीव को पॉल रेनहोल्ड जॉब्स और क्लारा जॉब्स ने गोद ले लिया | जॉब्स जब पांच साल के हुए तब उनका परिवार सेन फ्रांसिस्को से माउंटेन व्यू केलिफोर्निया चले गए | स्टीव के पिता पॉल एक मेकेनिक और बढ़ई थे | इसलिए उनके पिता उन्हें छोटे मोटे एलेक्टरनिक्स पार्ट को चलाने और ठीक करना सिखाते थे | साथ ही उनकी माँ क्लारा उन्हें पढ़ाया करती थी | जॉब्स ने अपनी शिक्षा मोंटा लोमा प्राइमरी स्कूल से की| और हाई स्कूल होमेस्टेड हाई स्कूल से की | उनके माता पिता एक मिडल क्लास फैमिली से थे | लेकिन उन्होंने स्टीवे जॉब्स की सभी जरूरतों को पूरा किया और उन्हें अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाया | जब स्टीव ने हाई स्कूल पास किया तो उनके कहने पर उनके माता पिता ने उनका एडमिसन ओरेगन के रीड कॉलेज में करा दिया |
बीच में ही छोड़ दी थी पढाई
क्युकी रीड एक बहुत ही महंगा कॉलेज था और उनके माता पिता की आय भी अधिक नहीं थी ऐसे में उनके माता पिता की सारी जमा पूंजी उनकी इस कॉलेज की पढाई में खर्च हो गयी | साथ ही उन्हें ऐसे लगने लगा था की वे जो पढाई कर रहे है उसका कोई महत्व नहीं है | इसलिए उन्होंने अपनी पढाई छोड़ दी |
भरपेट भोजन करने के लिए हरे कृष्णा मंदिर जाते थे
पढाई छोड़ने के बाद अब उन पर कोई दबाव नहीं था ऐसे में उन्होंने अपने मन को जो अच्छा लगता था ऐसे कोर्स ज्वाइन कर लिए लेकिन उनके पास रहने के लिए कोई कमरा नहीं था ऐसे में उन्हें कई बार अपने दोस्तों के कमरे में फर्श पर सोकर रात बितानी पड़ती थी | साथ ही वे सप्ताह में एक बार भरपेट खाना खाने के लिए 7 मील चलकर हरे कृष्णा मंदिर में खाना खाने के लिए जाते थे | और अपना खर्च निकलने के लिए वे कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतलों को बेचा करते थे |
अध्यात्म की तलाश में आये थे भारत
वर्ष 1973 में वे अटारी में एक टेक्निशयन के रूप में काम करने लगे | इस दौरान ही उन्हें आध्यात्मिकता की और रुझान हुआ और इसके लिए वे अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर वे भारत चले गए | यहाँ वे नीम करोली बाबा के आश्रम गए इसके साथ ही वे आध्यत्म की तलाश में 7 महीने में भारत के कई स्थानों पर घूमे | फिर वे वापिस अपने घर चले गए | वहां पहुंचकर उन्होंने अपना सर मुंडवा दिया और बोध धर्म के अनुयायी बन गए |
दोस्तों के साथ मिलकर बनाई एप्पल
कुछ सालों तक संघर्ष करने के बाद स्टीव ने अपने हाई स्कूल के साथी स्टीव वोजनियाक और रोनाल्ड वेन के साथ मिलकर 1 अप्रैल 1976 को एप्पल की स्थापना की | और इन्होने स्टीव वोजनियाक के साथ मिलकर मैकिंटोश तैयार किया | 1977 में इन्होने अपनी कंपनी को सार्वजानिक कर दिया | और कम्पनी के निगमीकरण के कारन उस समय के करोड़पति माइक मार्कुला ने 2,50,000 डॉलर की आर्थिक सहायता दी | कुछ ही सालों में इनके बनाये कंप्यूटर प्रोडक्ट देश भर में छा गए और इनकी कम्पनी तेजी से बढ़ने लगी | लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे की कम्पनी की स्थापना करने वालों में से एक रोनाल्ड वेन ने कम्पनी के सार्वजनिक करने से थोड़े समय ही पहले अपने शेयर स्टीव को मात्र 800 डॉलर में बेच दिए थे |
खुद की कंपनी से निकाल दिया गया था स्टीव को
एक ऐसा समय भी आया जब स्टीव के द्वारा मार्केटिंग के लिए रखे गए जॉन स्कली ने 1985 में बोर्ड डारेक्टर के साथ मिलकर कंपनी से बाहर कर दिया | स्टीव के लिए ये एक बड़े सदमे की तरह था उन्होंने कभी नहीं सोचा था की एक दिन उन्हें उनकी बनाई कम्पनी से निकाल दिया जायेगा |
लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने नेक्स्ट इंक और पिक्सलर कम्पनी की स्थापना की | नेक्स्ट इंक में इन्होने 1990 में अपना पहला कंप्यूटर उतारा | साथ ही इनकी पिक्सलर कम्पनी में कई एनिमेशन फिल्मों का निर्माण हुआ जो की बहुत ही सफल साबित हुई | फेमस टॉय स्टोरी इनकी कम्पनी द्वारा बनाई गयी एनिमेशन फिल्म है | जहा एक और स्टीव ने बिजनेस में अपने कदम एक बार फिर से मजबूती से गाड़ लिए थे |
स्टीव ने वापिस एप्पल में आकर मजबूत किया कम्पनी को
इनके जाने के बाद एप्पल कम्पनी का ग्राफ निचे जाने लगा था | ऐसे में एप्पल कम्पनी के बोर्ड डाइरेक्टर ने स्टीव से फिर से कम्पनी को ज्वाइन करने के लिए कहा | ऐसे में 1996 में स्टीव जॉब्स की पिक्सलर कंपनी को एप्पल में मर्ज कर दिया गया और उन्हें कम्पनी का चीफ एग्जक्यूटिव ऑफिसर बना दिया गया | इसके एक साल बाद ही 1997 में उन्हें कम्पनी का सी इ ओ नियुक्त कर दिया गया | उस समय तक एप्पल कम्पनी करीब 250 तरह के प्रोडक्ट बाजार में बेच रही थी ऐसे में उन्होंने उत्पादों की संख्या को 10 तक सिमित कर दिया | स्टीव का मानना था की कंपनी को क्वांटिटी के बजाय क्वालिटी पर ध्यान देना चाहिए |
आई फोन ने एप्पल को दिलाई अभूतपूर्व सफलता
1998 में एप्पल ने आईमैक कंप्यूटर बाजार में उतारा | यह दिखने में बेहद आकर्षक और काम करने में बहुत ही अच्छा था | इसे लोगो ने पसंद किया और इसकी बिक्री से कम्पनी ने अपने पैर एक बार फिर व्यवसाय में मजबूती से गाड़ दिए | इसके बाद तो स्टीव के नेतृत्व में एप्पल ने आईपॉड को बाजार में उतारा | और फिर आया वो फोन जिसने एप्पल को शिखर पर लाकर खड़ा कर दिया ये था एप्पल का आईफोन | इस फोन की सफलता ने कम्पनी को बड़े मुनाफे के साथ पूरी दुनिया में प्रसिद्धि भी दिलाई |
कैंसर के कारण हुई मृत्यु
इसके बाद एप्पल ने 2010 में आईपैड भी बाजार में उतारा | लेकिन यही वो साल था जब स्टीव की तबियत खराब रहने लगी थी | उन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर था | और इस वजह से उन्होंने 2010 में अपनी बिगड़ती सेहत की वजह से सी इ ओ के पद से इस्तीफा दे दिया | लेकिन बोर्ड अध्यक्ष के रूप में वे बने रहे | और कैंसर की वजह से 5 ओक्टुबर 2011 को अंतिम सांस ली | उनके पीछे उनके परिवार में उनकी पत्नी लॉरेन पावेल है जिनसे उन्होंने 1991 में शादी की थी | इस शादी से उनके तीन बच्चे हुए बेटा रीड और बेटियां एरिन और इव है | इसके अलावा उनकी एक और बेटी है जिसका नाम लिसा ब्रेनन है ये उनके पुराने समय में बने एक पुराने रिश्ते से है |
स्टीव दा बीटल्स के बहुत बड़े प्रशंशक है | स्टीव आज भले ही हमारे बिच ना हो लेकिन उनके द्वारा दिए योगदान को हम कभी नहीं भूल सकते है | साथ ही उनके प्रेरणादायी बातें हमेशा लोगो को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती रहेगी |
निष्कर्ष
इसी के साथ हम उम्मीद करते है की आज का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा | अगले आर्टिकल में हम आपको एक और ऐसे ही प्रेरणादायी व्यक्ति के बारे में बताएंगे | अगर आपको आज का हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो शेयर करें | अगर आपके कोई सुझाव है तो कमेंट करें और अंत में हमारे चैनल को सब्स्क्राइब करना ना भूलें, धन्यवाद |