बंद होने की कगार पर पहुंची रॉयल एनफील्ड ने कैसे रची सफलता की कहानी .

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बूट बूट करती रॉयल एनफील्ड जब रोड से गुजरती है तो उसका एक अलग ही टशन होता है | इस बाइक का नशा ऐसा है की इसको चलाने वाला अपने आपको किसी राजा महाराजा से कम नहीं समझता | और इस बाइक को देखकर आपके मन में भी इसे खरीदने की इच्छा जरूर होती होगी | और हो भी क्यों ना यह बाइक है ही ऐसी | लेकिन आपको पता है की एक समय ऐसा भी था जब इस बाइक की बिक्री बेहद कम थी और जिसकी वजह से यह बंद होने के कगार पर पहुंच गयी थी | लेकिन तब इस कम्पनी की बागडोर एक ऐसे युवा के हाथ में आयी जिसने अपने जोश और बिजनेस क़ाबलियत से एक बार फिर इस बाइक को भारत की सबसे पसंदीदा बाइक में शुमार करवाया | 

रॉयल एनफील्ड का इतिहास

रॉयल एनफील्ड भारत के सबसे पुरानी बाइक में से एक है | इस बाइक को सबसे पहले भारतीय सेना के उपयोग के लिए लाया गया था | यह बाइक दुर्गम पहाड़ी इलाको में सबसे मजभूत और भरोसेमंद वाहन के रूप में सेना के काम आती थी | आज भले ही रॉयल इनफील्ड को एक भरोसेमंद इंडियन ब्रांड के तौर पर जाना जाता है लेकिन रॉयल एनफील्ड की शुरआत अब से करीब 125 साल पहले इंग्लैंड में हुई थी |

दो दोस्तों ने शुरू  की थी कम्पनी

रॉयल एनफील्ड कम्पनी की शुरआत दो दोस्तों अल्बर्ट ए डी और आर डब्ल्यू स्मिथ ने 1892 में की थी | और इस कम्पनी का नाम रखा गया इ डी मेन्युफेक्चरिंग लिमिटेड | शुरुआत में यह कम्पनी बंदूकों के छोटे छोटे पार्ट्स बनाने के काम करती थी | इसके बाद इसी कम्पनी के अंतर्गत 1896 में दा न्यू इनफील्ड साइकिल कम्पनी बनाई गयी | इस कम्पनी का मुख्य काम साईकिल और उसके कम्पोनेंट बनाना  था | इस कम्पनी ने 1899 में एक चार पहिये वाली साईकिल बनाई गयी | और 1901 में इस साईकिल पर एक इंजन फिट किया और इस तरह न्यू एनफील्ड की सबसे पहली मोटर साईकिल तैयार हुई | और इसके साथ ही कम्पनी ने 1903 में कार प्रोडक्शन चालू किया | लेकिन कार के बिजनेस में कम्पनी को काफी घाटा हुआ इसलिए उन्होंने कार बनाने की कम्पनी को ओल्ड ओनियंस कम्पनी को बेच दिया | 

प्रथम विश्वयुद्ध के समय मिला था बड़ा आर्डर

मोटर साईकिल कम्पनी के रूप में भी अभी एनफील्ड का संघर्ष जारी था | एनफील्ड को बड़ी सफलता तब मिली जब प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश वॉर डिपार्टमेंट ने एक बड़ा मोटरसाइकिल का ऑर्डर कम्पनी को दिया | इससे कम्पनी की आर्थिक स्थिति सुधरी | इसके बाद रशियन गोवेर्मेंट ने भी एनफील्ड खरीदने का एक बड़ा ऑर्डर कम्पनी को दिया | 

 दूसरे विश्वयुद्ध में भी बिर्टिश गवर्मेंट ने एक बड़ा ऑर्डर एनफील्ड कम्पनी से मिलट्री मोटरसाइकिल बनाने का किया | इस तरह मिलट्री की यह सबसे पसंदीदा मोटरसइकिल बन गयी | 

इनफील्ड की भारत में शुरुआत

भारत में सबसे पहले इनफील्ड मोटरसाइकिल 1949 में आयी | लेकिन शुरआत के 4 साल कम्पनी के लिए खासे अच्छे नहीं रहे | 1954 में भारतीय पुलिस और आर्मी के लिए 800 मोटर साइकिल का ऑर्डर दिया गया | इससे एनफील्ड की भारतीय बाजार में पैठ बनी | 1955 में एनफील्ड कम्पनी ने मद्रास मोटर कम्पनी के साथ करार किया | और इस तरह से कम्पनी की भारत में शुरुआत हुई | 

मद्रास मोटर्स के साथ मिलकर एनफील्ड ने सबसे पहले 350 सी सी की बाइक बाजार में उतारी | शुरआत में इसके अधिकतर कम्पोनेंट इंग्लैंड से ही आते थे | 1962 के बाद चेन्नई स्थित मद्रास मोटर्स की फ़ैक्ट्रि में इसके सारे  कम्पोनेंट  बनाये जाने लगे | इंग्लैंड में भी कम्पनी की तेजी से गिरती सेल और घाटे की वजह से 1978 में इंग्लैंड में इनफील्ड का उत्पादन बंद कर दिया गया |

साल भर में 2000 इन्फिल्ड की बिक्री   

इसकी दमदार आवाज और मजबूत बॉडी के कारन इसने भारतीय बाजार में अपनी खास जगह बनाई | लेकिन बाद में बाजार में सस्ती बाइक और अधिक एवरेज देने वाली बाइक की वजह से इसकी बिक्री तेजी से घटने लगी | एक समय ऐसा आया जब 1992 में कम्पनी पुरे साल भर में केवल 2000 बाइक ही बेच  पा रही थी | ऐसे में एनफील्ड के उत्पादन बंद होने का संकट मंडराने लगा था | 

सिद्धार्थ ने बदली किस्मत रॉयल एनफील्ड की

इसके बाद 1994 में आइशर ग्रुप ने एनफील्ड का अधिग्रहण कर अपना मुख्यालय चेन्नई में स्थापित कर दिया | और एनफील्ड के नाम में रॉयल और जोड़ दिया | इसके बाद से यह ब्रांड रॉयल एनफील्ड से बाजार में आने लगा | लेकिन कम्पनी बदल जाने के बाद भी रॉयल एनफील्ड के हालत खस्ता थे | लेकिन कम्पनी का भाग्योदय होने वाला था | साल था 2000 एनफील्ड की बागडोर संभाली आइशर मोटर्स के कार्यकारी अधिकारी सिद्धार्थ ने |  दिल्ली के सेंत स्टीफंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन करने के बाद सिद्धार्थ आइशर मोटर्स से जुड़ गए थे | 

आज एनफील्ड का पूरी दुनिया में निर्यात कर रहा है भारत

उस समय आइसहार के 15 से भी अधिक बिजनेस थे | जिनमे ट्रक  मोटरसाइकिल सभी थे | युवा सिद्धार्थ बाइक के शौकीन थे इसलिए उन्होंने रॉयल एनफील्ड में अपनी दिलचस्पी दिखाई | और इस कम्पनी की गिरती साख और सेल को देखकर मोटर साईकिल के डिजाइन में चेंज करने के साथ ही इसकी लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए मार्केटिंग का सहारा लिया | कुछ ही दिनों में अपनी स्ट्रेटजी से रॉयल एनफील्ड की ग्रोथ में तेजी आयी और | जो कम्पनी कभी बंद होने के कगार पर थी आज हर साल साढ़े चार लाख बाइक बेच रही है | एनफील्ड आज भारत से यूरोप, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका एक्सपोर्ट भी की जा रही है | 

निष्कर्ष

तो ये थी कहानी रॉयल एनफील्ड की जो की दुनिया की सबसे लम्बे समय से बेचीं जा रही मोटरबाइक है | और आज भी इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है | की इसे पाने के लिए लोगो को कई महीनो का इंतजार करना पड़ता है | लेकिन इसको चाहने वाले और किसी बाइक को लेने के बारे में सोचते भी नहीं है | रॉयल एनफील्ड अपने नाम को सार्थक करती हुई  वाकई में एक रॉयल बाइक है | 

इसी के साथ हम उम्मीद करते है की इस लेख से आपकी जानकारी में इजाफा हुआ होगा | अगले लेख में हम आपको एक और ऐसी ही एक और कम्पनी की सफलता यात्रा के बारे में बताएंगे | अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर करें | और कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट करें |

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