लहरों के साथ तो हर कोई तैर लेता है लेकिन असली तैराक वो होता है जो लहरें विपरीत होने पर तैरता है | यही फलसफा हमारे जीवन के साथ भी लागु होता है | अगर आपके जीवन में संघर्ष नहीं है तो आप कोई ऊँचा मुकाम नहीं पा सकते | आज हम आपको जिस व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे है उस व्यक्ति ने छोटी सी उम्र से ही संघर्षो से हाथ मिला लिया था | लेकिन अपनी लगन की वजह से उसने कभी हार नहीं मानी और अरबों रूपये की कम्पनी खड़ी की जिसे की हम पेनासोनिक के नाम से जानते है |
आज हम आपको बताने जा रहे है इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पनी पेनासोनिक को बनाने वाले मात्सुशिता कोनुष्कि के बारे में | जिन्होंने अपने अथक परिश्रम से इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया | कोनुष्कि को जापान में मैनेजमेंट का भगवान कहा जाता है |
कोनोस्की के पिता को छोड़ना पड़ा था गाँव
कोनोस्की अपने माता पिता के साथ वाक़यामा जापान में रहते थे | उनके परिवार की गिनती गांव के गिने चुने रहिस परिवारों में होती थी | लेकिन उनके पिता के कुछ गलत निवेश के चलते उनके परिवार पर आर्थिक संकट आ गया जिसकी वजह से उनके परिवार की सारी जमीन बिक गयी और उन्हें अपने गांव का घर छोड़कर शहर के एक छोटे घर में आना पड़ा | यहाँ आकर कोनोस्की के पिता छोटे मोटे काम कर अपने परिवार का खर्च चलाने लगे | कोनोस्की को भी कम उम्र में ही अपने परिवार की आर्थिक सहायता के लिए कम उम्र में ही नौकरी करनी पड़ी | सबसे पहले वे एक रिटेल स्टोर में काम करने लगे जहा पर वह दुकान में साफ़ सफाई से लेकर छोटे मोटे काम किया करते थे | उन्हें अभी काम करते हुए एक साल भी नहीं हुआ था की दुकान का काम बिलकुल मंदा हो गया और उन्हें दुकान से निकाल दिया गया |
ओसाका इलेक्ट्रिक कम्पनी में किया काम
अब वे कमाई के लिए नयी नौकरी ढूढ़ने लगे | इस दौरान उन्होंने ओसाका इलेक्ट्रिक लाइट कम्पनी में आवेदन किया | जहा पर उनकी नौकरी लग गयी | कोनोस्की ने कम्पनी में मन लगाकर काम किया और कुछ साल में उनकी नौकरी स्थायी हो गयी | इस कम्पनी में काम करने के दौरान उन्हें काफी सिखने को भी मिला | इसी दौरान कोनोस्की की शादी उसकी बहन की दोस्त से कर दी गयी | अब उसके पास एक परिवार था लेकिन स्थायी नौकरी के साथ वह इसको सँभालने में सक्षम था |
22 साल की उम्र में कम्पनी में प्रमोशन देकर उन्हें विद्युत निरीक्षक बना दिया गया | इस कम्पनी में रहते हुए उन्होंने खाली समय में एक इम्प्रूव सॉकेट बनाया और उसे अपने बॉस को दिखाया | लेकिन उसके बॉस ने उसे यह कहकर रिजेक्ट कर दिया की यह नहीं चल पायेगा | लेकिन कोनोस्की को अपने प्रोडक्ट पर विश्वास था और इसलिए उन्होंने ओसका इलेक्ट्रिक कम्पनी छोड़कर अपनी खुद की कम्पनी स्थापित की |
घर में ही कारखाना लगाया था
यह उनका एक बड़ा फैसला था | क्युकी उनके पास व्यापार करने का कोई अनुभव नहीं था और ना ही उन्होंने कोई प्रशिक्षण लिया था | इस वजह से लोगो को लग रहा था की उनका व्यापार शुरू होने से पहले ही फेल हो जायेगा | इसके अलावा उनके पास पूजी भी नहीं थी | तो भी उन्होंने अपनी पत्नी, बहन, बहनोई और 2 सहयोगियों के साथ अपने किराये के घर के बेसमेंट में अपना कारखाना स्थापित किया |
घर का फर्नीचर बेचना पड़ा
यहाँ पर वे अपने हाथों से सॉकिट बनाने लगे और खुद ही होलसेलर और दुकानदारों के पास जाकर उसे बेचने जाते | लेकिन बहुत प्रयास के बाद भी उनके लाइट सॉकिट का अच्छा ऑर्डर उन्हें नहीं मिल पा रहा था | ऐसे में उनके 2 सहयोगियों ने भी काम छोड़ दिया | अब उनकी कम्पनी में केवल वे उनकी पत्नी, बहन और बहनोई रह गए | कोई ऑर्डर ना मिलने से उन्हें घाटा होने लगा और उनकी आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब हो गयी की उन्हें अपने घर का फर्नीचर तक बेचना पड़ा |
लाइट सॉकेट पर पूरा था विश्वास
अपने बिजनेस को चलाने के लिए उन्हें लोगो से कर्जा भी लेना पड़ा | लेकिन लाख प्रयास के बाद भी कुछ छोटे मोटे ऑर्डर ही मिल पा रहे थे जिनसे की बिजनेस का खर्चा निकलना भी मुश्किल था | अब धीरे धीरे वे दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुके थे | और लोग उन्हें वापिस से नौकरी करने की सलाह देने लगे थे | लेकिन कोनोस्की अपने फैसले पर अटल थे और जानते थे की उनका ये प्रोडक्ट सफल होगा | और फिर अटल विश्वास का नतीजा आया और उन्हें एक हजार लाइट सॉकिट का ऑर्डर मिला |
जिससे की उनकी कम्पनी ने रफ़्तार पकड़ी | अब धीरे धीरे उनके लाइट सॉकिट की डिमांड आने लगी | एक तो उनका लाइट सॉकिट की क्वालिटी अच्छी थी और साथ ही वह सस्ता भी था | अब उनकी कम्पनी ने कुछ और भी प्रोडक्ट निकाले | अब कम्पनी ने रफ़्तार पकड़ ली और आज उनकी यह कम्पनी पेनासोनिक के रूप में पुरे विश्व भर में अपने इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद बेचती है | और उनकी कम्पनी में ढाई लाख से भी अधिक कर्मचारी काम करते है | और इस कम्पनी का टर्नओवर 70 बिलियन डॉलर है |
अपने पर था अटूट विश्वास
कोनोस्की की सफलता के पीछे जो सबसे बड़ी ताकत थी वो था उनका अटल विश्वास जिसके बलबूते उन्होंने कठिन से कठिन परिस्थितियों का भी डटकर सामना किया और असफलता से कभी निराश नहीं हुए | यही वजह रही की उन्होंने एक छोटे से प्रोडक्ट से शुरुआत करके एक बहुत बड़ी कम्पनी बना दी | कोनोस्की 94 साल की उम्र में 1989 में ये दुनिया छोड़ कर चले गए | लेकिन वो एक ऐसी राह बता गए जिससे प्रेरणा पाकर कोई भी हां आप भी सफलता पा सकते है |
इसी के साथ उम्मीद करते है आज की यह प्रेरणास्पद जीवनी आपको पसंद आयी होगी | अगर आपके कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट करें |