हमारे हिंदू धर्म में नवरात्र पूजा का विशेष महत्व है। हमारे साल में दो नवरात्रा आते हैं। लेकिन बहुत से लोगों को नवरात्रि पूजन विधि क्या है और नवरात्री में कौन कौनसी सामग्री की जरुरत होती है |
पहला चैत्र के नवरात्रे जिसे हम छोटे नवरात्रों के नाम से जानते हैं|
दूसरा आश्विन के नवरात्रे जिसे हम बड़े नवरात्रों के नाम से जानते हैं।
नवरात्रों के अंदर मां दुर्गा के नौ अवतारों की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और मां दुर्गा को खुश किया जाता हैं । जिससे हमारे घर में सुख, शांति, समृद्धि,वैभव व धन-संपदा बनी रहे।
नवरात्रि के ये जो नौ दिन होते हैं, ये बहुत ही शुभ माने जाते हैं। इन नौ दिनों में हमें बिना किसी कैलेंडर, पंचाग देखे बिना ही हम अपना कार्य पूर्ण कर सकते हैं।
इन नौ दिनों में हमें पंडितों से कोई मुहूर्त निकलाने की जरूरत नहीं होती है क्यों की शास्त्रों के अंदर नवरात्रों को बहुत ही विशेष व फल दाई बताया गया हैं, इसलिए इन नौ में हम अपना कोई भी शुभ काम कर सकते हैं। इन नौ दिनों को हम अबूझ मुहूर्त भी कह सकते हैं।
नवरात्रि के अंदर हम अपना नया व्यवसाय चालू करते हैं, तो वह बहुत ही सफल होता है, अतः नया व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए नवरात्रि सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। नवरात्रों के अंदर हम गृहप्रवेश भी कर सकते हैं।
नवरात्रि कब से प्रारंभ हैं
अभी श्राद्ध पक्ष चल रहा है श्राद्ध पक्ष के खत्म होते यानी की अमावस्या के दूसरे दिन नवरात्र प्रारंभ हो जाते हैं।
शरदिए नवरात्रि पड़वा (प्रतिपदा तिथि) से आरंभ होगे। यानी की 26 सितंबर 2022 से प्रारंभ होकर 5 अक्टूबर 2022 को समाप्त होगे।
नवरात्रि प्रारंभ तिथि मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि आरंभ
26 सितंबर 2022,को सुबह 03 बजकर 23 मिनट पर
प्रतिपदा तिथि का समापन
27 सितम्बर 2022, सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर
घटस्थापना प्रातः मुहूर्त
प्रातः 06.17 से प्रातः 07.55 तक
कुल अवधि 01 घण्टा 38 मिनट
अभिजीत मुहूर्त
प्रातः 11:54 से दोपहर 12:42 तक
कुल अवधि – 48 मिनट
नवरात्रि पूजन सामग्री
घट स्थापना के लिए सामग्रियां
एक कलश, मौली, आम के पत्ते (5 आम के पत्ते की डली), रोली, गंगाजल, सिक्का, गेहूं या अक्षत (चावल)आदि।
जुवारे बोने के लिए सामग्री
मिट्टी का बर्तन, शुद्ध मिट्टी, गेहूं या जौ, मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा, साफ जल, और कलावा।
अखंड ज्योति के लिए सामग्री
पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रूई बत्ती, रोली या सिंदूर, अक्षत।
नवरात्रि हवन सामग्री
नवरात्रि पर हम सब को पूरे नौ दिनों तक पूरे विधि-विधान से पूजन,व्रत के साथ हवन करना चाहिए। सभी भक्तगण नवरात्रि की अंतिम तिथि पर घर में या तो स्वयं हवन करे या फिर किसी पंडित से हवन करवाए।
हवन पूर्ण होने पर हवन के प्रसाद को सम्पूर्ण भोजन मिलाए ।
हवन की धुआं घर की नकारात्मक को समाप्त करती हैं, और हवन की ये धुआं से पूरा घर शुद्ध और पवित्र हो जाता हैं।
इसके लिए हवन कुंड, आम की लकड़ी, काले तिल, रोली या कुमकुम, अक्षत(चावल), जौ, धूप, पंचमेवा, घी, लोबान, लौंग का जोड़ा, गुग्गल, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, हवन में चढ़ाने के लिए भोग (चावल की खीर), शुद्ध जल (आमचन के लिए)।
माता रानी की श्रृंगार सामग्री
माता रानी को श्रृंगार करना व लाल रंग बहुत पसंद हैं, इसलिए माताजी को अधिकतर सारा श्रृंगार लाल रंग का ही चढ़ाया जाता हैं। नवरात्रि के दिनों में माता रानी के लिए श्रृंगार सामग्री अवश्य लानी चाहिए ।
लाल चुनरी, लाल चूड़ी, इत्र, सिंदूर, महावर(लाल रंग), बिंदी, मेहंदी, काजल, बिछिया, माला, पायल, लाली व अन्य श्रृंगार के सामान है जो माता जी को चढ़ाया जाता हैं।
नवरात्रि कलश स्थापना पूजा विधि
- नवरात्रि व्रत प्रारंभ करने से पहले अपने मन से सभी प्रकार की हीन और दुवेस भावना निकाल दे।
- आश्विन नवरात्रि की प्रतिपदा को प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- नवरात्रे के प्रथम दिन सबसे पहले घर के मुख्य द्वार के फिर अपने घर व मंदिर के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं।
- मुख्य द्वार व घर के मंदिर पर आम या अशोक के पत्तो का बारंदर वाल लगाएं।
- इसके बाद एक चौकी बिछाकर वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। चौकी पर लाल व सफेद कपड़ा बिछाए।
- अगर आप के यहां पर माता का चित्र बनता हैं तो चित्र बनाए अगर नहीं तो फिर चौकी पर माता की प्रतिमा स्थापित करें।
- उसके बाद विधिविधान से माता की पूजा करें।
- उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में कलश रखना चाहिए और माता की चौकी सजानी चाहिए।
- कलश पर नारियल रखते समय इस बात का मुख्य ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुख नीचे की तरफ न हो।
- कलश के मुंह पर चारों तरफ अशोक के पत्ते लगाएं और फिर एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलाव से इसे बांध दें।
- अब अम्बे मां का आह्वान करें। इसके बाद दीपक जलाकर माता की आरती करे।
- माता की आरती के बाद सभी सदस्य को आरती व प्रसाद दे।
- और हाथों पर कलावा पहनते हुए सिर पर तिलक करे।
माता जी की आरती
जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत
तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत
तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी
मांग सिंदूर विराजित
टीको जगमग तो
मैया टीको जगमग तो
उज्ज्वल से दोउ नैना
उज्ज्वल से दोउ नैना
चंद्रवदन नीको
ॐ जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर
रक्ताम्बर राजै
मैया रक्ताम्बर राजै
रक्तपुष्प गल माला
रक्तपुष्प गल माला
कंठन पर साजै
ॐ जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत
खड्ग खप्पर धारी
मैया खड्ग खप्पर धारी
सुर नर मुनिजन सेवत
सुर नर मुनिजन सेवत
तिनके दुखहारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चंद्र दिवाकर
कोटिक चंद्र दिवाकर
सम राजत ज्योती
ॐ जय अम्बे गौरी
शुंभ निशुंभ बिदारे महिषासुर घाती
मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना
धूम्र विलोचन नैना
निशदिन मदमाती
ॐ जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे
मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे
मधु कैटभ दोउ मारे
सुर भयहिन करे
ॐ जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी
मैया तुम कमला रानी
अगम निगम बखानी
अगम निगम बखानी
तुम शिव पटरानी
ॐ जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरों
मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंगा
बाजत ताल मृदंगा
ओर बाजत डमरू
ॐ जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता
मैया तुम ही हो भरता
भक्तन की दुख हरता
भक्तन की दुख हरता
सुख संपति करता
ॐ जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित वर-मुद्रा धारी
मैया वर मुद्रा धारी
मनवांछित फल पावत
मनवांछित फल पावत
सेवत नर नारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कंचन ढाल विराजत अगर कपूर बाती
मैया अगर कपूर बाती
श्रीमालकेतु में राजत
श्रीमालकेतु में राजत
कोटि रतन ज्योती
ॐ जय अम्बे गौरी
श्री अम्बे जी की आरती
जो कोई नर गावे
मैया जो कोई नर गावे
कहते शिवानंद स्वामी
कहते शिवानंद स्वामी
सुख सम्पति पावे
ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत
तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी