बच्चे का पैदा होने से घर में खुशियों की बहार आ जाती है | लेकिन क्या आप जानते है की बच्चा कैसे पैदा होता है | और पुरुष के शुक्राणु और अंडाणु के निषेचन के दौरान कितनी प्रक्रियाओं से गुजरना होता है | गर्भवती होने के लिए पुरुष के शरीर में शुक्राणु और महिलाओं में अंडाणु आते कहां से है | ये प्रक्रिया कितनी असामान्य है | और अंडाणु से निषेचन के लिए एक शुक्राणु को कितनी मेहनत करनी होती है , इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की करोड़ों शुक्राणुओं में से केवल एक शुक्राणु जाकर ही अंडाणु से निषेचित हो पाता है और महिला प्रेग्नेंट हो पाती है | लेकिन इसके बाद भी शरीर में क्या क्या होता है ये जानना भी जरुरी है , तो आइये जानते है गर्भवती होने की पूरी प्रक्रिया के बारे में |
किसी भी महिला में गर्भाधान के लिए जरुरी अंडाणुओं का निर्माण उनके जन्म से भी पहले हो जाता है | महिलाओं के शरीर में अंडाशय अंडे के आकार की दो ग्रंथिया होती है जो की महिला के गर्भाशय के दोनों और होती है | जन्म के समय से ही महिला के अंडाशय में अंडाणु भरे हुए होते है | एक स्वस्थ महिला में इन अंडाणुओं की संख्या 10 से 20 लाख के करीब होती है | जन्म के बाद से ही यह अंडाणु नस्ट होना शुरू हो जाते है | माहवारी यानि की पीरियड्स शुरू होने के बाद से रजनोवृत्ति यानि की मोनोपेज की अवधि तक कुल 400 के करीब अंडाणु रिलीज होते है | और अंत में 40 से 45 की उम्र तक ये पूरी तरह रिलीज होकर खत्म हो जाते है |
किसी भी महिला का मासिक चक्र 28 दिन तक होता है | मासिक चक्र के बाद 1 से लेकर 3 अंडाणु परिपक्व होने लगते है | और सबसे अधिक परिपक्व अंडे को फैलोपिन ट्यूब द्वारा खींच लिया जाता है | फैलोपिन ट्यूब 4 इंच लम्बाई की होती है और यह अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है | इस पूरी प्रक्रिया को अण्डोत्सर्ग यानि की ओवुलेशन कहते है | यह अंडा 24 घंटे तक जीवित रहता है | और प्रेगनेंट होने के लिए इस अंडाणु को एक शुक्राणु से निषेचित होना होता है | किसी भी शुक्राणु से निषेचित होते ही नया जीवन आकार लेना शुरू कर देता है | अगर अंडाणु शुक्राणु से मिल नहीं पाता है तो ऐसी स्थिति में यह नष्ट हो जाता है |
अंडाणु के निषेचन नहीं होने की स्थिति में अंडाशय प्रोजेस्टेरोन और इस्ट्रोजन हार्मोन का निर्माण बंद कर देता है की गर्भावस्था को बनाये रखने के लिए जरुरी होते है | और इन हार्मोन की कमी होने पर गर्भाशय की दीवार पर जमी पोषक परत गलकर गिर जाती है और मासिक धर्म होने के साथ यह परत पूरी तरह योनि के मुख से बाहर निकल जाती है | और महिला का शरीर दूसरे चक्र के लिए तैयार हो जाता है |
पुरुष में शुक्राणु
पुरुषों में शुक्राणु का लगातार होता रहता है , और एक बार वीर्यपात होने पर शरीर से करीब 4 करोड़ शुक्राणु बाहर निकलते है| स्त्रियों में अंडाणु का निर्माण जहां जन्म के समय होी हो चूका होता है | वही पुरुषो में शुक्राणुओं का निर्माण यौवन काल के बाद होता है | पुरुषों के अंडकोष में प्रतिदिन शुक्राणुओं का निर्माण होता रहता है | पुरुषो के अंडकोष शरीर के बाहर लटके हुए होते है | इनके बाहर होने के पीछे भी एक कारन होता है | शुक्राणुओं का निर्माण शरीर के तापमान से कम तापमान में होता है | अंडकोष के बाहर होने पर इनका तापमान शरीर के तापमान से 4 डिग्री तक कम होता है | जिसमे प्रतिदिन करोडो शुक्राणुओं का निर्माण होता है |
जब कोई पुरुष योन रूप से उत्तेजित होता है तो उसके अंडकोष के ऊपर मौजूद काउपर ग्रंथि एक चिपचिपा पदार्थ पैदा करती है | इस चिपचिपे पदार्थ की एक बून्द जाकर पेशाब की नली की अम्लता को खत्म कर देती है | यह अम्लता शुक्राणुओं के लिए हानिकारक होती है | ये शुक्राणु करोड़ों की संख्या में तेजी से गती करते हुए आगे बढ़ते है लेकिन इन करोड़ों शुक्राणुओं में से केवल एक शुक्राणु ही अंडाणु को निषेचित कर पाता है |अगर शुक्राणु में Y क्रोमोसोम होते है तो लड़के का जन्म होता है और अगर शुक्राणु X क्रोमोसोम का होता है तो लड़की का जन्म होता है |