Stammering हकलाना पूरी तरह ठीक करें

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शाहरुख़ खान जब फिल्म में हकलाते हुए क क क क क क किरण बोलते है तो लोग सीटिया और तालिया बजाने लगते  है लेकिन आम जिंदगी ऐसी नहीं होती | यहाँ पर हकलाने या अटक अटक कर बोलने वाले व्यक्ति को मोरल सपोर्ट नहीं दिया जाता बल्कि हकला और भी कई तरह के नामों से उसका मजाक बनाया जाता है, जो की बिलकुल भी ठीक नहीं है | अगर आप भी किसी शब्द या  वाक्य को  बोलते समय अटकते है या हकलाते है तो परेशान ना हो आपकी हकलाने की समस्या पूरी तरह से ठीक की जा सकती है |  

किसी भी बात को बोलते समय रुकावट होना यानि की किसी शब्द पर अटक जाना , दोहराना,और लम्बा खींचने जैसी परेशानी आना हकलाने की श्रेणी में आता है | हकलाने की समस्या महिलाओ के मुकाबले पुरुषो में अधिक देखि जाती है | वैसे पूरी दुनिया में 5 % लोग किसी ना किसी उम्र में हकलाने की समस्या से पीड़ित रहे है | हकलाने को एक बीमारी के रूप में देखा जाता है लेकिन यह कोई लाइलाज बीमारी नहीं है, बल्कि इसे किसी भी उम्र में ठीक किया जा सकता है | 

ऋतिक रोशन को भी हकलाने की समस्या थी 

दुनिया में ऐसी बहुत सी हस्तिया हुई है, जिन्हे हकलाने की समस्या रही है|  और उनके हकलाने को लेकर उनका काफी मजाक भी बनाया जाता था, लेकिन वे निराश और हताश नहीं हुए और स्पीच थेरेपी  और लगातार किये गए प्रयासों से अपनी इस कमी को पूरी तरह से ठीक किया | बॉलीवुड के मशहूर एक्टर ऋतिक रोशन, बराक ओबामा मशहूर सिंगर एड शिरीन जैसी मशहूर हस्तियो को भी लम्बे समय तक हकलाने की समस्या रही है  | लेकिन उन्होंने अपने जूनून के चलती इस समस्या से निजात पायी है |

 ऋतिक रोशन तो अपने हकलाने की समस्या से इतना परेशान थे की वे स्कुल जाने से भी घबराते थे | लेकिन फिर उन्होंने स्पीच थेरेपी से अपनी इस कमी को दूर किया | आज भी वे रोजाना कुछ समय के लिए अपनी स्पीकिंग केपेबिल्टी को सुधारने के लिए प्रयास करते है |   

हकलाने की शुरुआत कैसे होती है और यह आदत कैसे बन जाती है 

कई लोग सोचते है की हकलाने की आदत ज्यादा सोचने चिंता करने या ज्यादा घबराने की वजह से शुरू होती है | लेकिन यह बात पूरी तरह सच नहीं है | हकलाने की आदत ज्यादातर 2 से 5 साल की उम्र के बिच में शुरू होती है | दरअसल हकलाहट को ठीक करना और समझना मुश्किल इसलिए बन जाता है क्युकी जिस उम्र में इसकी शुरआत होती है उस उम्र में हम बोलना और बात करना सिख रहे होते है | और ऐसे में थोड़ा अटकना और हकलाना थोड़ा सामान्य भी होता है | 

लगभग 20 % बच्चों की शुरुआती उम्र में हकलाहट जैसे लक्षण देखे जाते है | जो की 5 से 7 साल की उम्र तक 75 % तक ठीक हो जाते है | हालाँकि हकलाने की  आदत शर्म , चिंता या डर की वजह से नहीं होती है | लेकिन ये चीजे इस आदत को और ज्यादा बढ़ा देती है | जिसकी वजह से लम्बे समय तक इसे ठीक करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है | यानि की पहले आप हकलाते हो जिसकी वजह से आपको स्ट्रेस होता है और नर्वसनेस बढ़ती है | और इस स्ट्रेस की वजह से आप और ज्यादा हकलाने लगते हो | जिससे की स्ट्रेस और ज्यादा बढ़ जाता है | और यह इस तरह एक सायकल की तरह चलता ही रहता है | 

हकलाने की असली वजह 

स्टडी से पता चला है की जिन लोगो की हकलाने की आदत होती है उन लोगो के दिमाग के कुछ हिस्सों में खून का संचार दूसरे लोगो की तुलना में थोड़ा अलग होता है | जब कोई इंसान भाषण या स्पीच देता है तो उसके हाथ में एक कागज का टुकड़ा होता है, जिसे पढ़कर वह सारी  बातें बोल रहा होता है | ठीक इसी तरह जब हम रोजाना जिंदगी में किसी से बात कर रहे होते है, तो किसी के द्वारा पूछे गए सवाल का सिग्नल कान के जरिये हमारे दिमाग तक पहुँचता है | 

दिमाग में जाने के बाद यह सिगनल wernicke’s एरिया में पहुँचता है जंहा पर उस सवाल को  किस तरह और किन शब्दों में बोलना है इस चीज का निर्माण होता है | शब्दों और वाक्यों का निर्माण हो जाने के बाद यह सिगनल दिमाग के अगले हिस्से में मौजूद brocas  एरिया में पहुँचता है | ब्रॉकस एरिया ही वह जगह है जंहा तैयार वाक्यों को पढ़ा जाता है, और हमारे मुंह और आवाज के जरिये बाहर निकाल दिया जाता है | 

जिन लोगो की हकलाने की आदत होती है, उनके दिमाग के wernicke’s  एरिया में सेन्टेंस तो बन जाता है लेकिन borkas  एरिया द्वारा उस वाक्य को बोलने की प्रक्रिया में समस्या पैदा होने लगती है | इसलिए जो हकलाते है उन्हें अपने मन में पता होता है की उन्हें क्या बोलना है | लेकिन बोलते समय अटकने लगते है | और जब ऐसे में शर्म, घबराहट और हिचकिचाहट और स्ट्रेस की फाइलिंग दिमाग में होने लगती है | तो वह इस कमजोरी को और ज्यादा बढ़ा देती है | इसमें बुरी बात यह है की हमारी सोसाइटी में  ज्यादातर लोग  हकलाने वाले लोगो को थोड़ा बेवकूफ समझते है | वो भी इस वजह से क्युकी वह अपनी बात ठीक तरह से बोल नहीं पाते | लेकिन असल में हकलाने वाले लोगो की बुद्धि, इंटेलिजेंस और ज्ञान दूसरे लोगो की तरह ही होती है | 

अब इसमें ख़ुशी की बात यह है की हकलाने की आदत को आसानी  से ठीक किया जा सकता है| जिसके लिए आज हम आपको  बताएँगे कुछ ऐसी टिप्स के बारे में | जिन्हे फॉलो करके आप कम समय में ही हकलाने की समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकेंगे | और बोलते समय बिना अटके सारी  बातों  को अच्छे से बोल पाएंगे | इसमें सबसे पहले हम जानेंगे, कुछ खाये जाने वाले नुस्खों के बारे में | और फिर हम बात करेंगे आसान एक्सेरसाइज,टेक्निक और योग की | आइये अब जानते है की वह कोन  कोनसी चीजे है जिनसे हकलाने की समस्या में सूधार आता है | 

कच्चा आंवला दूर करेगा हकलाने की समस्या को 

कच्चा आंवला ना सिर्फ हमारे दिमाग और सेहत के लिए अच्छा होता है | बल्कि यह हमारे जीभ के टिश्यू के लिए भी फायदेमंद होता है | इसका रोजाना सेवन करने से यह हमारे नर्वस सिस्टम को इम्प्रूव करता है | और साथ ही हमारे सोचने समझने और बोलने की क्षमता को भी बढ़ाता है | रोजाना सुबह नाश्ते और दिन के खाने के बाद 1 कच्चे आंवले का सेवन जरूर करें | इसका स्वाद अच्छा बनाने के लिए आप चाहे तो एक आंवले को 4 हिस्सों में काटकर उसे रात भर नमक के पानी में भिगोकर रख दे | ऐसा करने से अगले दिन तक आवला नरम भी हो जाता है और खाने में इसका स्वाद भी अच्छा लगता है | ताजे आंवले की  जगह आंवले के जूस का सेवन भी किया जा सकता है | लेकिन इनका असर कच्चे आंवले के मुकाबले में थोड़ा धीमे होता है | 

काली मिर्च के इस प्रयोग से दूर होगी हकलाने की समस्या 

इसके अलावा काली मिर्च भी हकलाहट की समस्या में काफी फायदेमंद होती है | रोजाना दिन में एक बार एक चम्मच बटर या देशी घी में 1 चुटकी काली मिर्च पावडर मिलाकर इसका सेवन करें |  इससे बोलते समय अटकने की प्रॉब्लम में काफी जल्दी सुधर आने लगता है | हकलाने की आदत को ठीक करने के लिए ब्रीथिंग टेक्निक यानि की सांस लेने का तरीका सबसे ज्यादा असरदार होता है | और इसका असर आपको पहले हफ्ते में ही दिखना शुरू हो जायेगा | 

इस टेक्निक से दूर होगी हकलाने की समस्या     

सामान्यतः लोग किसी भी बात को बोलते समय 3 तरीके से हकलाते है | एक किसी भी वर्ड की शुरुआत में ही बोलते हुए हकलाना या पहले लेटर पर ही अटक जाना | दूसरा किसी वाक्य के बिच वाले हिस्से पर अटकना | और तीसरा किसी वर्ड को ख़त्म करते वक्त हकलाना शुरू कर देना | 

इन तीनो तरह की स्थिति में ही इन टेकनीक के जरिये ही सुधर लाया जा सकता है | इसके लिए हर सेंटेंस को बोलने से पहले गहरी सांस ले | अब उस पहले  वाक्य को अपने मन में सोच ले | उसके बाद उस सेंटेंस को थोड़ा तेज आवाज में बोले | हर सेंटेंस को बोलने से पहले बोलने की इस प्रक्रिया को रोजाना एक घंटे के लिए प्रेक्टिस करे | और ज्यादा से ज्यादा उन शब्दों का इस्तेमाल करे जिनको बोलते समय आपको ज्यादा समस्या होती है | धीरे धीरे आप देखेंगे की जिन शब्दों को बोलने में पहले आप हकलाया करते थे | उन्हें आप रे धीरे बिना अटके आसानी से बोल पाएंगे | साँस लेने की इस प्रक्रिया को आप अपने घर के लोगो के साथ अपने दोस्तों के बीच में भी इस्तेमाल कर सकते है| शुरू में हो सकता है की हर सेंटेस के पहले गहरी सांस लेने की वजह से आपको अपनी पूरी बात कहने में ज्यादा समय लगे |  लेकिन धीरे धीरे आपकी स्पीड में सुधार आता जायेगा | 

ज्यादा से ज्यादा बोलने की कोशिस करें 

कई लोग अपने हकलाने की आदत से इतना ज्यादा परेशान  हो जाते है, की वह लोगो से कम से कम बात करना पसंद करते है | कम बात करने से बोलने का मौका भी कम मिलता है | जिसके चलते हकलाने की आदत वैसी की वैसी ही रह जाती है | इसलिए ज्यादा से ज्यादा बोलने की कोशिश करे, और जिन शब्दों को बोलने में आपको सबसे ज्यादा मुश्किल होती है, उन शब्दों का बार बार अभ्यास करे | अगर आपको किसी दूसरे व्यक्ति के सामने बोलने या बात करने में हिचकिचाहट होती है तो पहले अकेले में अभ्यास करें | इसके लिए अपनी आवाज को मोबाइल में रिकॉर्ड करते हुए न्यूज़ पेपर पढ़ना या बुक्स पढ़ना सबसे अच्छा तरीका माना जाता है |  

अपनी आवाज रिकॉर्ड करके दूर करें हकलाना 

रोजाना सुबह उठने के बाद या सोने से पहले अपने मोबाइल में वौइस् रिकॉर्डर ऑन करके अपनी पसंद की कोई किताब पढ़ते हुए अपनी आवाज को रिकॉर्ड कर ले | पढ़ते समय अगर आप बिच बिच में हकलाना शुरू कर देते है तो उस शब्द को पेन से मार्क कर ले | और बाद में रिकॉर्डिंग सुनते समय उस शब्द पर ज्यादा गौर फरमाए | जहा भी आप ज्यादा अटकते है उस शब्द को जोर से या बहुत धीमी आवाज में बोलने की कोशिश करे | 

अगर आप उस शब्द को बिना अटके हुए बोलने में सफल हो जाते है | तो फिर पुरे सेंटेंस को दुबारा बोलकर मोबाइल में रिकॉर्ड कर ले | और फिर 2 से 3 बार सुनकर अपने दिमाग में उस शब्द को बोलने के सही तरीके को याद  रखे | इस तरह से हम हमारे दिमाग को उस शब्द का सही उच्चारण सीखा देते है | जिससे की धीरे धीरे हमारी अटकने की आदत में सुधार आ जाता है |

दुसरो से बात करते हुए भी हम पहले के मुकाबले कम हिचकिचाते है | यह तरीका बड़ी बड़ी स्पीच थेरेपी सीखाने वाली कपनियों द्वारा अपनायी जाने वाली कुछ बहुत ही असरदार तरकीबो में से एक है | जिसको रोजाना करने से मात्र 3 से 4 दिनों में ही आपके बोलचाल में काफी सुधार आ जाता है | 

घबराहट के कारन भी हकलाते है अक्सर लोग 

अक्सर यह देखा गया है की अक्सर लोग बात करते समय हर वक्त इतना नहीं हकलाते लेकिन किसी विशेष मौके पर ही ज्यादा हकलाना शुरू कर देते है | उदहारण के लिए जब आपको किसी व्यक्ति को कोई बात समझानि हो या एक्सप्लेन करनी हो या किसी सीनियर परसनलिटी या बहुत सारे लोगों के बिच स्पीच या प्रजेंटेसन देना हो | 

किसी नए इंसान से मिलने पर  या कोई सिचुएशन जिसकी वजह से आपको बहुत ज्यादा गुस्सा शर्म , घबराहट और दुःख का एहसास हो ऐसी स्थिति में अक्सर लोग सामान्य से भी ज्यादा हकलाना शुरू कर देते है | अगर आपके साथ भी ऐसा होता है | तो आपको इस बात को समझना बहुत जरुरी है की यह आपके अंदर की कमजोरी नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ आपके दिमाग की वजह से हो रहा है | 

ऐसा होने पर उस पर्टिकुलर सिचुएशन में परेशान होने की जगह धीरे धीरे अपनी बात को रखे | क्युकी कई बार जल्दी जल्दी और घबराहट में बोलने की वजह से भी हकलाना शुरू हो जाता है और हमारा कॉन्फिडेंस कम हो जाता है | ब्रीदिंग टेक्निक और खुद का ऑडियो रिकॉर्ड करके सुनने से आपको शब्दों को बोलने की काफी अच्छी प्रेक्टिस तो होगी ही | और साथ ही अंदर से आत्मविश्वास भी बढ़ता जायेगा |

अपने कॉन्फिडेंस को तेजी से बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है की आप अजनबी लोगो से बात करें | अक्सर यह देखा गया है की जो लोग हमारे आसपास होते है और हमारी हकलाने की आदत के बारे में जान चुके होते है उन लोगो को फेस करना भी हमें ज्यादा पसंद नहीं आता | क्युकी हमें उन लोगो से इतना सपोर्ट नहीं मिलता की हम उन लोगो के साथ अपनी आदत को सुधारने की प्रैक्टिस कर सके | ऐसे में सबसे अच्छा तरीका यही होता है की अजनबियों से बात की जाये | वैसे तो अजनबियों से बात करना अपने आप में ही एक अलग चेलेंज होता है | लेकिन फिर भी कुछ आसान तरीको से बिलकुल आसान बनाया जा सकता है | 

फोन पर कस्टमर केयर से बात करने से दूर होगी हकलाने की समस्या 

सबसे पहला तरीका है फोन पर बात करना | रोजाना किसी भी कंपनी के कस्टमर केयर पर जरूर कॉल करें | कॉल करने से पहले की जाने वाली बात को पूरी तरह से प्रिपेयर कर ले | कॉल लगाने के बाद आप अलग अलग ऑफर्स के बारे में पूछ सकते है | मोबाइल की डीलर टोन या  अपने नंबर को पोस्ट पेड़ या प्रीपेड करवाने के बारइ में पूछ सकते है | बात करने से पहले अपने कॉल रिकॉर्ड की सेटिंग को ऑन कर ले | यह भी अपने में इम्प्रूवमेंट लाने का अच्छा तरीका होता है |

 इसके अलावा अजनबियों से फेस टु फेस बात करने का सबसे आसान तरीका है की उनसे किसी मुश्किल जगह का एड्रेस पूछ लिया जाये | ऐसे में आपकी उनसे बात भी हो जाती है और थोड़ी सी प्रेक्टिस भी हो जाती है | इस दौरान आप बोलते वक्त थोड़ा बहुत अटक भी जाते है तो अपनी बात को दोबारा शांति से बोलने की कोशिश करे और अपने कॉन्फिडेंस को बिलकुल भी कम नहीं होने दे | क्युकी हो सकता है वो इंसान आपको दुबारा कभी भी ना मिले | और ना ही आपको कभी याद रखे | इसलिए वह हसेगा या कुछ सोचेगा सभी चीजों को अपने दिमाग से निकाल दे | 

किसी भी व्यक्ति के सामने जाने पर इस बात को पूरी तरह भूल जाये की आप बोलने में हकलाते है या अटकते है | और उन लोगो को अपनी प्रेक्टिस करने का एक जरिया मानकर ही बात करे | 

योग और मेडिटेशन से दूर होगी आपकी हकलाने की समस्या 

दोस्तों बोलने की प्रक्रिया सिर्फ हमारे मुंह का काम नहीं होता | बल्कि  इसमें 90 %  हमारे दिमाग का भी काम होता है | ऐसे में दिमाग से जुडी किसी भी प्रॉब्लम को ठीक करने के लिए केवल योग और मेडिटेसन से  ही सबसे ज्यादा असर दीखता है | बोलने में किसी भी तरह की परेशानी आने या हकलाहट को दूर करने के लिए कुछ विशेष प्रकार के प्राणायाम होते है जिनका सीधा असर हमारे बोलने और सोचने की शक्ति पर होता है | 

उद्गीथ प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम और उज्जयी प्राणायाम  यह तीनो ही प्राणायाम खासकर हकलाने की समस्या में सबसे ज्यादा फायदेमंद होते है | अगर आप रोजाना इनमे से कोई 1 भी प्राणायाम करते है तो आपको शुरुआत के मात्र 10 दिनों में ही कमाल का फर्क नजर आएगा | 

स्वयं पर विश्वास करने से दूर होगी हकलाने की समस्या 

हम आपको यह विश्वास दिलाते है  की अगर आप अपने ऊपर विश्वास करेंगे तो हकलाने की इस समस्या से पूरी तरह निजात पा सकते है | अक्सर अपने हकलाने की समस्या से लोग खुद को औरो की बनिस्पत कमजोर समझने लगते है | लोग उनका मजाक उड़ायेंगे, इसलिए वे लोगो के बिच बोलना कम कर देते है, ये ही सबसे बड़ी गलती वो करते है | हकलाने की समस्या को अगर ठीक करना है, तो जितना अधिक हो लोगो से बातचीत करनी चाहिए | इससे आपकी स्पीकिंग केपेबिलिटी सुधरती है | 

आप यह परवाह बिलकुल ना करे की कोई आप पर हंस रहा है, या आपका मजाक उड़ा रहा है | आप केवल ये ध्यान रखे की आपको बिना हिचकिचाए बात करनी है, और पुरे कॉन्फिडेंस से बात करनी है| आत्मविश्वास की कमी के कारन कई बार आम लोग, जिन्हे कोई तरह की हकलाने की समस्या नहीं वे भी बोलते समय अटकने लगते है | इसलिए इस समस्या को दूर करने के लिए अपने पर पूरा विश्वास रखे और बेफिक्र होकर बोले | और मन में ये विश्वास रखे की यह समस्या कुछ दिन में सही हो जाएगी | तो आप देखेंगे की कम समय में ही आपकी यह समस्या पूरी तरह ठीक हो जाएगी | 

हम उम्मीद करते है की आज का यह आर्टिकल आपके जीवन में अत्यंत लाभकारी होगा | आगे भी हम आपके लिए ऐसे ही उपयोगी जानकारी लाते रहेंगे | अगर आपको यह वीडियो पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर  करें | अगर कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट करें | 

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