रिलायंस इंडस्ट्री के मालिक मुकेश अम्बानी आज दुनिया के 19 वें नंबर के सबसे धनी व्यक्ति है | आज रिलायंस इंडस्ट्री भारत की सबसे बड़ी कम्पनी है | लेकिन कम्पनी को इस मुकाम पर ले जाने का श्रेय जाता है मुकेश अम्बानी के पिता धीरू भाई अम्बानी को | जिन्होंने गरीबी से निकलते हुए जीवन में कठिन संघर्षो का सामना करते हुए सफलता की कहानी लिखी | आज हम बात कर रहे रिलायंस कम्पनी की नींव रखने और उसे एक बड़े मुकाम तक पहुंचने वाले धीरू भाई अम्बानी के बारे में |
कौन थे धीरूभाई
धीरूभाई अम्बानी ने टाटा, बिड़ला जैसी बरसों से जमी हुई कंपनियों के बीच में अपनी मेहनत के बल पर अपनी कम्पनी रिलाइंस को शीर्ष पर पहुंचाया | धीरू भाई का जन्म जूनागढ़ गुजरात के चोरवाड़ में एक बेहद सामान्य परिवार में हुआ था | इनके पिता का नाम हीराचंद गोरधनभाई अम्बानी और माँ का नाम जमनाबेन था | इनके पिता शिक्षक थे | कहते है की व्यवसाय के गुण गुजरातियों के खून में होता है इसलिए धीरू भाई भी स्कूल के समय से ही वीकेंड पर गिरनार की पहड़ियो में पकोड़े बेचकर अपना पॉकेट मनी निकाल लिया करते थे | धीरूभाई के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थे | इसलिए उन्होंने हाई स्कूल के बाद छोटे मोटे काम करके अपने परिवार की सहायता करने लगे |
धीरूभाई 16 साल की उम्र में यमन चले गए थे कमाने
उनके बड़े भाई एडेन यमन में काम किया करते थे | 16 वर्ष के होने पर वे भी अपने बड़े भाई के पास काम करने के लिए 1950 में यमन चले गए | वहां जाकर वे भी अपने बड़े भाई के साथ ए बेस एंड कम्पनी में काम करने लगे | यह एक ट्रेंडिंग कम्पनी थी और इसके डिस्पेच डिपार्टमेंट में धीरूभाई काम करने लगे | धीरू भाई गुजरती मीडियम से पढ़े हुए थे और उनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं थी इसके बावजूद भी उन्होंने अपनी मेहनत और कार्य कुशलता से सभी को प्रभावित किया | उनकी कम्पनी जो की शैल के गैस स्टेसन भी चलाती थी उनके काम को देखकर उन्हें एक गैस स्टेशन संभालने की जिम्मेदारी दे दी गयी | उस समय उन्हें 300 रूपए वेतन के रूप में मिलते थे | यहाँ रहकर उन्होंने बड़ी लगन और मेहनत से 7 सालों तक काम किया |
इस वजह से आना पड़ा धीरूभाई को भारत
लेकिन उनकी किस्मत ने उनके लिए कुछ और सोच रखा था | 1957 में यमन को जब ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली तो विदेशी लोगों का भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया ऐसे में उन्हें यमन छोड़कर वापिस भारत आना पड़ा | वे अपनी पत्नी कोकिलाबेन और बेटे मुकेश अम्बानी के साथ 1958 में मुंबई आ गए | उस समय मुकेश केवल 9 महीने के ही थे | भारत आने के बाद उनके छोटे बेटे अनिल और बेटी नीना और दीप्ती का जन्म हुआ |
धीरूभाई ने 15 हजार से शुरुआत की कम्पनी की
भारत पहुंचने के बाद उन्होंने रिलाइंस कमर्सियल कॉर्पोरेशन की शुरुआत की | इसके लिए उन्होंने बड़ी मुश्किल से 15 हजार रूपये की व्यवस्था की | व्यवसाय की शुरुआत में वे यमन में मसालों का व्यापार किया करते थे | उसके वे यमन से सूत का इम्पोर्ट करने लगे | कुछ ही सालों में उन्होंने अपने यार्न इम्पोर्ट के व्यापार को बहुत बढ़ा लिया | लेकिन फिर 1966 में करेंसी में आये फ्लेक्चुएसन के कारन उनका यार्न इम्पोर्ट का बिजनेस धीरे धीरे कम होता हुआ बिलकुल बंद हो गया | लेकिन ऐसे में व्यापर में आयी गिरावट को देखकर ये परेशान नहीं हुए बल्कि इन्हे एक और ओपर्चुनिटी दिखाई दी | उन्होंने पोलिस्टर धागे का निर्माण कर अपना ही फेब्रिक तैयार करने का विचार किया और इसके लिए उन्होंने 1966 में अहमदाबाद के नरोडा में कपडा मील की शुरुआत की |
और जिस समय नेचुरल फेब्रिक कॉटन, वुलन और सिल्क का अधिक चलन था उन्होंने सिंथेटिक फेब्रिक नाइलोन और पोलिस्टर का निर्माण कर व्यापार की दूरदर्शिता का परिचय दिया | उन्होंने फेब्रिक के अपने ब्रांड का नाम अपने बड़े भाई रमणिकलाल के बेटे विमल अंबानी के नाम पर रखा | उनका यह ब्रांड बड़ा हिट हुआ और देश ही नहीं बाहर भी इसका एक्सपोर्ट होने लगा | लेकिन इनकी व्यापर में बढ़ती पैठ की वजह से कई मील वाले इनके दुश्मन बन गए थे |
सभी बैंको ने पैसे देने से कर दिया था मना
ऐसे में धीरूभाई विचार करने लगे की कम्पनी को उस मुकाम पर ले जाया जाये जंहा से उनकी ये गलाकाट प्रतिस्पर्धा का अंत हो और इसके लिए उन्हें करीब 2 करोड़ रूपये की जरुरत थी | ऐसे में उन्होंने इस बड़े निवेश के लिए बैंको से बात की लेकिन कोई भी बैंक इसके लिए राजी नहीं हुआ | ऐसे में इन्होंने निर्णय किया की ये आम लोगों से अपने व्यापार में निवेश करवाएंगे | और 1977 में निवेश करने के लिए रिलाइंस स्टॉक मार्केट के ऑफर को लोगों ने हाथो हाथ लिया और 58000 लोगों ने इसमें निवेश किया | इससे रिलाइंस को उनकी जरुरत से भी अधिक पैसा प्राप्त हुआ | जिससे कम्पनी की जड़ इतनी मजबूत हो गयी की इसे फिर कोई नहीं हिला सका |
रिलायंस का साम्राज्य को और बढ़ाया है धीरूभाई के बेटे ने
धीरूभाई की अथक मेहनत और दृढ़निश्चय का ही परिणाम था की केवल मसालों से शुरू किये व्यापार को उन्होंने टेक्सटाइल,पेट्रोकेमिकल, टेलिकॉम, एनर्जी, पॉवर, इंफ्रास्ट्रक्चर और कैपिटल मार्केट जैसे क्षेत्रों में आज रिलाइंस ने अपनी मजबूत स्थिति कायम की है | धीरूभाई 6 जुलाई 2002 को ये दुनिया छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चले गए | अपने पीछे वे एक बड़ा व्यापार साम्राज्य छोड़ गए | आज उमके बड़े बेटे मुकेश अम्बानी ने उनके व्यापर को और भी ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है | और आज उनकी कम्पनी रिलाइंस इंडस्ट्री भारत की मोस्ट प्रॉफिटेबल कम्पनी है | और उनके बड़े बेटे जहां सबसे अमीरों की लिस्ट में पहले नंबर पर है वही उनके छोटे बेटे देश के 65 वें नंबर के सबसे अमीर भारतीय है |
इसी की साथ उम्मीद करते है की आज का यह लेख आपको पसंद आया होगा | अगले लेख में हम आपको बताएंगे किसी और ऐसी ही प्रसिद्ध हस्ती के बारे में | अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें | और अगर कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट करें |