अदितस्य नमस्कारान ये कुर्वन्ति दिने दिने |
आयु प्रज्ञा बलं वीर्यं , तेजस्तेषाम च जायते ||
सूर्य नमस्कार किये जाने से पहले बोला जाने वाला यह सूर्य नमस्कार मंत्र सूर्य नमस्कार की उपयोगिता बताता है | इस सूर्य नमस्कार मन्त्र का अर्थ है – जो लोग रोजाना सूर्य नमस्कार करते है , उनकी आयु , बल, वीर्य और तेज में वृद्धि होती है | सभी योगासनों में सूर्य नमस्कार को सर्व श्रेष्ठ माना गया है | सूर्य नमस्कार को करने से पुरे शरीर का व्यायाम होता है | और केवल इस योगासन को करने से आपका शरीर स्वस्थ , निरोगी और तंदरुस्त बनता है | सूर्य नमस्कार का पूर्ण और अधिक से अधिक लाभ पाने के लिए सुबह सुबह इसे करना चाहिए | यह एक अकेला योगासन है जिसके करने से आपके शरीर की कई तरह की बीमारिया पूरी तरह दूर होती है |
सूर्य नमस्कार करने की विधि
सूर्य नमस्कार बहुत ही लाभकारी आसन है लेकिन इसको सही तरह से करने से ही इसके पुरे लाभ आपके स्वास्थ्य को मिल पाएंगे | तो अब हम आपको बताते है सूर्य नमस्कार करने की सही स्थितियों के बारे में |
स्टेप 1
सबसे पहले एक साफ़ स्थान पर दरी या चादर बिछाकर उस पर सीधे खड़े हो जायें | अब अपने पैर की दोनों एड़ियों और पंजो को आपस में मिला लें | अपने हाथ जोड़कर अपने सीने के पास ध्यान चक्र पर लगा लें | अब अपने गुदा द्वार, और मूत्र द्वार को अंदर की और खींचे | अब आधा मिनिट तक इस स्थिति में खड़े रहे | अब एक लम्बी स्वांस खेंचते हुए धीरे धीरे अपने दोनों हाथो को ऊपर की और लेकर जाये | हाथ ऊपर जाने पर दोनों हथेलिया एक दूसरे की और देखती हुई होनी चाहिए |
स्टेप 2
अब धीरे धीरे स्वांस छोड़ते हुए कमर से झुकते हुए अपने सर को घुटनों से लगाने की कोशिश करें | और अपने दोनों हाथो को अपने दोनों पांव के पंजो के बगल में लगाने की कोशिश करें | अगर आपसे यह नहीं हो पा रहा है तो कोई बात नहीं जितना हो सके उतना झुके |
स्टेप 3
अब वापिस एक लम्बी स्वांस खींचे और अपने दाहिने पांव को जितना हो सके पीछे की और लेकर जायें | बाकि दोनों हाथ के पंजे और एक पांव एक सीध में रहेंगे | आपका सीना आपके बायें पांव से लग रहा होगा | सर बिलकुल सामने की और देखता हुआ |
स्टेप 4
अब स्वांस छोड़ते हुए अपने बायें पांव को भी दाहिने पांव के बगल में ले जाएँ | शरीर ढलाव की स्थिति में | दोनों हथेलिया और दोनों पंजे जमीन पर टिके रहेंगे | नजर 5 कदम दूर पर रहेगी | अब 5 सेकेंड के लिए इस स्थिति में बने रहें |
स्टेप 5
अब स्वांस को स्थिर रखते हुए अपने सर, सीने और घुटने को जमीन पर टिका दे बाकि सारा शरीर जमीन से स्पर्श नहीं होना चाहिए | अब 5 से 10 सेकेंड के लिए इस स्थिति में बने रहे |
स्टेप 6
अब गहरी स्वांस लेते हुए अपने सर को आगे की और ले जाते हुए ऊपर उठा लें | इस स्थिति में आपकी स्थिति फैन फैलाये सर्प की जैसी यानि की भुजंगासन की स्थिति होगी |
स्टेप 7
अब स्वांस छोड़ते हुए केवल कूल्हे और कमर के भाग को ऊपर उठाये | और सर को निचे की और लेकर जाएँ | इस स्थिति में आपके दोनों और से ढलान की स्थिति होगी |
स्टेप 8
अब वापिस स्वांस खेचते हुए अपने दायें पांव को वापिस अपनी दोनों हथेलियों के बीच में लेकर जायें | और आपका सीना आपके पैर की जांघ और घुटनो पर होगा | दृस्टि बिलकुल सामने की और रखें |
स्टेप 9
अब स्वांस छोड़ते हुए अपना बायां पांव भी आगे की और ले आएं | अब आपकी दोनों हथेलिया आपके पांवों के पंजो के पास होगी | आपका सर आपके घुटनो से लगा होगा |
स्टेप 10
अब सीधे खड़े हो जाएँ और आपके हाथो को नमस्कार की मुद्रा में ह्रदय चक्र के पास जोड़ लें |
यह सूर्य नमस्कार की पूरी 10 स्टेप है | जिनके द्वारा आप सही तरह से सूर्य नमस्कार कर सकते है | लेकिन सूर्य नमस्कार करते समय आपको अपने स्वांस पर बहुत ध्यान रखना चाहिए | आप सूर्य नमस्कार के 10 स्टेप के प्रत्येक चक्र करने से पहले एक सूर्य मन्त्र बोल सकते है | शुरुआत में आप केवल 3 सूर्य नमस्कार चक्र से शुरुआत कर सकते है बाद में बढाकर 5 और 10 और अंत में रोजाना 13 सूर्य नमस्कार करें | निचे हम सूर्य नमस्कार के प्रत्येक चक्र से पहले बोला जाने वाला मन्त्र आपका बता रहे है | आप चाहे तो इसे बोल सकते है नहीं तो यह जरुरी नहीं है |
सूर्य नमस्कार मंत्र
- ॐ मित्राय नमः
- ॐ रवये नमः
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ भानवे नमः
- ॐ खगाय नमः
- ॐ पुष्णेय नमः
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ मरीचये नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ सवित्रेय नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ भास्कराय नमः
- ॐ श्री सवित्र सूर्य नराणाय नमः
सूर्य नमस्कार करने के लाभ
- प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से आपका रक्त का संचरण सही होता है |
- सूर्यनमस्कार करने से शरीर में ऑक्सीजन ऑब्जर्व अच्छे से होता है और कार्बन डाई का उत्सर्जन होता है |
- त्वचा और बालों से सम्बंधित रोग दूर होते है |
- स्मरण शक्ति तेज होती है |
- पेट का पाचन अच्छा रहता है और भूख अच्छे से लगती है |
- शरीर में अनावश्यक और विषैले तत्व तेजी से बाहर निकलते है |
सूर्य नमस्कार के समय ध्यान दी जाने वाली सावधानिया
- सूर्य नमस्कार हमेशा सुबह सूर्योदय के वक्त करना चाहिए |
- जिस जगह पर सूर्य नमस्कार करें वो समतल होनी चाहिए |
- सूर्य नमस्कार करते समय स्वांस लेने और छोड़ने का पूरा ध्यान रखें |
- दरी या चद्दर पर ही सूर्य नमस्कार करें किसी गद्दे या स्पंज मेट पर सूर्य नमस्कार ना करें |
- अधिक तेजी से सूर्य नमस्कार ना करें | केवल सामान्य गति से ही सूर्य नमस्कार करना चाहिए |
- जिन लोगो को स्लिप डिस्क या है या हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है उन्हें यह सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए |